Saturday, July 30, 2011

पंचायतों में महिला भागीदारी

केंद्र सरकार भले ही संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण विधेय· पारित ·रवाने में अब तक विफल रही है लेकिन उसने पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बारे में ए· प्रस्ताव को मंजूरी देकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि महिलाओं को प्रशासनिक मामलों मे समान भागीदारी देने के प्रति वह गंभीर है।  महिलाओं को पंचायतों में हर स्तर पर 50 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान ·रने वाला यह 110वां संविधान संशोधन विधेयक 26 नवम्बर 2009 को लोकसभा में पेश  किया गया था। बाद में संसद की स्थायी समिति ने अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विधेयक में जनसंख्या शब्द से पहले ग्रामीण शब्द को शामिल किए जाने का सुझाव दिया। इस सुझाव की उपादेयता और इससे जुड़े कानूनी मसलों को पूरी तरह समझ लेने के बाद अब  केंद्र ने इस आरक्षण कानून को लागू करने का रास्ता साफ कर दिया है। संसद की मंजूरी मिल जाने पर पंचायतों में महिलाओं  का आरक्षण एक तिहाई से बढ़ कर 50 प्रतिशत हो जाएगा। फिलहाल पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या लगभग 28.18 लाख है। इनमें &6.87 प्रतिशत महिलाएं हैं। कोई शक नहीं कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के दूरगामी सामाजिक परिणाम सामने आएंगे। भारतीय संविधान की मंशा के अनुरूप महिलाओं को  पुरुषों  के साथ एक समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की कोशिश महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होने की उम्मीद है। इस प्रकार का प्रयोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कर चुके हैं। उस प्रयोग के कुछ वाकई सुखद नतीजे भी सामने आए हैं। संदेहवादी केंद्रीय मंत्रिमंडल के कदम पर सवाल उठा रहे हैं कि संविधान में संशोधन कर पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव को संसद  के आगामी मॉनसून सत्र के ठीक पहले ही क्यों मंजूरी दी गई? इस सवाल का इशारा यह है कि कहीं सरकार ने मॉनसून सत्र में विपक्ष पर भारी पडऩे की जुगत के तहत यह निर्णय तो नहीं लिया है? यह सही हो, तब भी इस निर्णय का स्वागत ·िया ही जाना चाहिए। आखिर राजस्थान की छवि राजावत जैसी भारतीय महिलाओं ने साबित कर दिया है कि उन्हें पंचायतों के स्तर पर भी काम करने का मौका मिले तो वे समाज को विकास के बेहतरीन तोहफे दे सकती हैं।

No comments:

Post a Comment